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इतिहास नया बनाना है!

 इतिहास नया बनाना है!

खून का बदला अब खून से लेना है,
एक के बदले दसों को मार भगाना है,
इतिहास नया बनाना है।


वार रणबांकुरों की पीठ पर अब नहीं सहना है,
दुश्मनों को छाती ठोक के मार भगाना है,
इतिहास नया बनाना है।

कायरों की कायरता घर में घुस बताना है,
मानवता का नाश करें उनको अब जलाना है,
इतिहास नया बनाना है।

बोली बात छोड़ कर बारूद अब बिछाना है,
हमारे जो चितड़े हुए उससे भी बदतर करना है,
इतिहास नया बनाना है।

सेना की गोलियों का यह कहना है,
कब तक मौन, अब ना मौन रहना है,
इतिहास नया बनाना है,
इतिहास नया बनाना है।

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चर्चा kunwaro tabriyo की

अभी दो दिन पहले राजस्थानी गायक अनिल जी सेन का एक धमाकेदार गाना रिलीज़ हुआ| वैसे 2 साल पहले  अनिल जी का गाना इंद्र राजा बड़ा ही हिट हुआ| उसके बाद करीब करीब कई गाने हिट हुए लेकिन हल ही में रिलीज़ 'कवारो ताबरियो' ने तो इन्टरनेट पर धूम मचा दी| इस गाने ने करीब दो दिनों में ३ लाख दर्शकों ने देखा तथा यह गाना पहले दिन विश्व भर में 43 नंबर पर तथा दुसरे दिन २२ की ट्रेंडिंग पर आ गया| हालाँकि गाने के बोल 5 दशक पुराने है जिसे कालूराम प्रजापत ने लिखे लेकिन अनिल जी की आवाज और रेम्मो के म्यूजिक ने गाने के बोल में एक नयी जान भर दी | गाने में रेप भी डाला गया है| और गाना कवारो को पूर्ण रूप से समर्पित है|
इस गाने का सबसे अच्छा बोल   "कोड कारूला मोद करुला जद सुण सु ला जान्जरियो" बड़ा ही प्यारा है और कवारो के दिल में घर कर जाता है ज्यादा कुछ इस गाने के बारे में बोलने की जरुजत नही है आप खुद ही सुण ले
https://www.youtube.com/watch?v=-CzyJWHT7Dg&t=144s

रामकंवार पारासरिया
लेखक अर लिरिक्स ऑफ़ राजस्थानी सोंग्स 
8696170664

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आज़ादी तो क्रांति से आई

देश की असली आजादी तो क्रांति से आई थी

तेरी दर्द भरी कहानी में मैं कैसे शामिल हो जाऊं, बहरूपिए हो तुम मैं कैसे शामिल हो जाउ,
मैं कैसे भूलूं शहीदों की चीखों को,
मैं कैसे भूलूं 23 साल के नौजवानों को,
सूली आज भी मुझे वह दिख रही है,
मेरी आंखो के सामने वह टिक रही है,
अरे क्या करते हो तुम भारत पाकिस्तान का बंटवारा,
जरा उन जवानों को भी याद कर लो जिन्होंने अपना जीवन इन दोनों मुल्कों पर वारा।
मैं गांधी जी का बन जाऊं पुजारी,
लेकिन बंटवारे के वक्त क्या उन्हें याद नहीं आई हमारी,
वतन बंट रहा था तुम मौन थे,
अब पूछ रहे हो कि नाथूराम गोडसे कौन थे,
बंग भंग हुआ तब भी तुम ना समझे,
दिल का टुकड़ा छीन ले गया जिन्ना तब भी तुम ना संभले,
अच्छा हुआ गांधीजी तुम को गोडसे ने मार दिया,
जब जिन्ना की बातों में आकर हिंदुस्तान और पाकिस्तान को अलग किया,
मेरी नजर में हिंदुस्तान का आज हर एक युवा मौन है,
जरा पूछो उन फांसी पर लटके हुए जवानों से कि वह कौन है,
मुझे आज भी याद है जो कत्लेआम हुआ,
हिंदुस्तान जब पाकिस्तान के रूप में बर्बाद हुआ,
हां तुम थे अहिंसा के पुजारी मैं भी बन जाऊं,
पर मैं उस आजाद को कैसे भूल जाऊं,
आजाद था, आजाद है,आजाद रहेगा,इस वचन को मैं कैसे झुटलाऊँ,
जलियां की वह आग आज भी सीने में चिंगारी बन कर बैठी है,
सभी अपनी अपनी राजनीति में लगे हुए हैं कौन कहता है कि देश मेरी माटी,
अरे पूछो उन माताओं को जिन्होंने अपने सीने पर पत्थर रख दिया,
अपने आंख के तारे को देश के लिए न्योछावर कर दिया,
पूछो उस पिता से जिसके सामने भगत सिंह ने बंदूक के बोई थी,
क्या उस रात उस पिता की आंखें चैन से सोई थी,
इंकलाब की वह बोली घर-घर में गूंज उठी थी,
तुम्हारी अहिंसा की उस टोली में कितनी चीखें रोज उठी,
तुम सही हो यह "पारासरिया" मानता है,
व्यक्तिगत तौर पर नहीं पर इतिहास के जरिये उनको जानता है,
तुमने अपने तरीके में शांति अपनाई थी,
लेकिन देश की असली आजादी तो क्रांति से आई थी,
देश की असली आजादी तो क्रांति से आई थी।
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पिया म्हारा परदेसी



देखो थाणी आखड़लिया मारी मारो नैणा नीर बह ग्यो,
मै रोउ मनड़े उबी आँगन क्यूँ रे म्हारो पियो परदेसी हो ग्यो।

थाणी याद में कळपती काया मारी होगयी केश,
पिया मारी बात सुणो थे क्यूँ बैठा परदेस।


पगलिया री सुण म्हे वाज वो,
दौड़ी आई आंगणे पिया म्हारा वो,
हिवड़ो गणो म्हारौ उकसायो,
जद परदेसी तू आंगणे नइ आयो।

सखी सहेली पूछे माने कद आवे भरतार जी,
कुण समझावे इणने पिया होग्या परदेसी जी।

जोगण बणगी म्हे ज्यूँ ही मीरा बाई वो,
थे मत बणो जोगी म्हारा पिया परदेसी ओ।

थारा सु मिलण री आस ही मारी,
क्यूँ तोड़ी थे आस पिया मारी,
उबि उबि थाने उडीकु धोरे माथे वो,
कद आवेलो पियो परदेसी मारो वो|

याद थाणी माने गणी आवे,
परदेश पियो क्यूँ जावे,
मनड़ो हो ग्यो उदास जद,
परदेशी म्हारे देश आवेलो कद।

मै रोऊ पिया म्हारा कुण थाने बतावे,
"रामकंवार" सगळी बात बतावे |
ramkanwar parasriya

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म्हारी मावड़ी

“मारी मावड़ी”

काले ज्यु हि मारी आँख मिली,
मारी मावडी मने सुपणा रे माये दिखी|
अबे सुपणों यू जोर को आयो,
बचपन रा वे दिन याद लायो|
मावडी मारी गिले आंगने सोई ही,
अर मने बिरी छाती रे लगाई सोई ही|
लोरी गायर मने सुलाई ही,
पण बिरी खुद री नींद उडियोड़ी ही|
आंगनो तो पुरो आलो हो,
पण छत सु भी पाणी टपकतो हो|
अर आंगने माथे तो खुद सुयगी ही,
पण छत रा पाणी रो जतन करती ही|
फेर बैठी हुयर मने गोदिया म सुलायो हो,
अर खुद आखी रात जागी ही|
पाणी रो एक ई टपको मारे माथे पडंदियो कोनी,
अर बिने आखी रात मै सोवणदि कोनी|
फेर सूबे रा बीने एक जपको आयो,
मारे भी एक झटको लाग अर सुपणों टूटियो|
मन गणों कलपियो बी सुपणा ने देखर
अबे मारे आंख्या सु पाणी पडगो,
अर “रामकंवार” आधी ही ई कविता ने लिखगो|
by रामकंवार पारासरिया
8696170664


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प्यारी बहना


"प्यारी बहना"

क्या लिखूं उसके बारे में वह रिश्ता का बड़ा अंबर है,
इन सारे मानवीय रिश्तों में वह बड़ा समंदर है।
क्या लिखूं उसके बारे में वह है हवाओं का फ़साना,
या है परियों का पहला गहना,
वह है आसमान में तारों का टिमटिमाना।
सूरज की कड़कड़ाती धूप में है वह छांव का बहाना,
बस यही है कहना हे प्यारी मेरी बहना।
मुझे चोट लगती तो वह अपने नन्हें हाथों से उस चोट पर हाथ फेरती और कहती दुख रहा है,
मेरी कमीज को गीला करके फिर सुखाती और कहती अभी गीला है सूख रहा है।
फिर शहर आया तो पापा से झगड़कर कॉल करवाती,
भैया आप वापस कब आओगे बस यही मुझसे पूछती।
जब मैं गांव जाता तो मेरे लिए तोहफा नहीं लाऐ इस बात पर रूठ जाती,
इस बार लाऊंगा कहते-कहते ही फिर मान जाती।
उसकी इस निश्छलता को देख कर मेरी आंख भर आती,
मैं इन आंशुओं को अपने दिल में छुपाता बस यही कहता ले बांध मेरी प्यारी बहना राखी।
अब गम यह नहीं है कि तू मेरे पास नहीं है,
ससुराल में तू खुश रहना बस दुआ यही है।
क्या लिखूं इस सांसारिक अंधकार में तू मेरे लिए प्रकाश की किरण रही है।
परीक्षा में परिणाम कैसा रहेगा इस बात को मेरे सोचने पर तू मेरा दिल बहलाती,
जब भी मैं मंजिल की राह में गिरने लगता तू मेरा साहस बढ़ाती।
लेकिन क्या लिखूं यह मेरी मजबूरी है,
हमारे बीच अब जो दूरी है।
क्या लिखूं अब तू ही तो मेरा श्रंगार तू ही मेरा गहना है,
क्या कहूं यही तो मेरा कहना है बस तू ही प्यारी बहना है।
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क्यों मैं 18 का हो गया


 क्यों मैं 18 का हो गया



कल रात मै सोने जा रहा था,
कल रात मैं सोने जा रहा था,
जब मैं 18 को होने जा रहा था।
दो दोस्त अचानक कमरे में आए,
दो दोस्त अचानक कमरे में आए,
और कहने लगे अभी कहां सोने जा रहा है,
तू अभी थोड़ी देर बाद 18 का होने जा रहा है।
उनकी बात पूरी कहां हुई थी अभी,
अचानक एक और दोस्त कमरे में घुसा आया तभी।
साथ में लेकर आया केक,
और था साथ में चाकू एक।
कहने लगा अब देर मत कर केक काट तू,
और जोर से गाने लगे हैप्पी बर्थडे टू यू।
सभी लोग मना रहे थे खुशियां,
लेकिन मेरा मुंह तो ऐसे ही पिचका हुआ था जैसे हूं मैं 90 साल की बुढ़िया।
पता नहीं क्यों मन में एक उदासी छाई थी,
यह बात मैंने किसी को नहीं बताई थी।
अब याद रहा वह बचपन जो न जाने कहां सो गया,
जवानी के इस प्रकाश में बचपन कहां खो गया।
वह गलियों में घूमने के दिन याद आने लगे,
दोस्तों के संग बचपन की बातों के दिन अब सताने लगे।
अब मैं 18 के इस अहसास को लेकर सो गया,
लेकिन अंत में मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि क्यों मैं 18 का हो गया।
क्यों मैं 18 का हो गया।
क्यों मैं 18 का हो गया।
Written By रामकंवार पारासरिया
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ऐ जिन्दगी

ऐ जिन्दगी।

वक्त थमा था जब तुम मिलने आयी थी,

गम गुम हुआ था जब तुम मिलने आयी थी।

वो पल बड़े थे लेकिन छोटे तेरे साथ हो गये,
कहा ढूंढू वो पल जो तेरे साथ होने पर खो गये।
वक्त की पहचान पहले न थी ऐ जिन्दगी,
कहा उस वक्त को ढूंढू बता दे तू ऐ जिन्दगी।
समंदर भी अब ठहरा हुआ लग रहा है, अब एक बूंद से भी पानी का गिलास भरा हुआ लग रहा है।
आधी गिलास का पानी न जाने कहां चला गया,
सपनों की दौड़ में न जाने कब मैं सो गया।
जागते ही फिर दौड़ पड़ा लेकिन तू ना मिली ऐ जिंदगी,
कहां अब तु सो गई बता दे मुझे ऐ जिंदगी।
पहले बहुत हंसा था लेकिन अब रोने की भी बारी मेरी ना रही,
पहले यम ने मुझे ना जगाया लेकिन अब मेरी आत्मा भी उसे भा रही।
अंतिम पलों में तुझसे कुछ मांगा ऐ जिंदगी,
अकेले में मेरा साथ तुम छोड़ना, सबके सामने रूलाना नहीं जिंदगी, सबके सामने रूलाना नहीं ऐ जिंदगी, सबके सामने रूलाना नहीं ऐ जिन्दगी।

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गधों की राजनीती

नोटबंदी पर भी राजनीती हो गयी,
कैशलेश इंडिया की बात चल गयी।
देखो नोटों की राजनीती भी कैसी ही गई,
पहले लाल नोट एक हजार के थे,
अब दो हजार के नोट गुलाबी हो गये।
कैसा है देश हमारा देश का किसान मर रहा है,
नेता गधो पर राजनीती कर रहा है।
सर्जिकल स्ट्राइक की पाकिस्तान की हवा टाइट की, यह जनता मानती है,
लेकिन कौनसा नेता कैसा है यह भी जनता जानती है।
जिस तरह कृषक कार्तिक में चेताता है,
जनता ऐसे ही इस बार चेतायेगी,
रामकंवार यही कहता है जनता भ्रष्ट नेताओ से देश को बचायेगी।
up की राजनीती पर कुछ नजर डालते है-
up की राजनीती तो देखो बाप बेटा अलग हो गये,
sp - कांग्रेस एक हो गये।
bjp-bsp दोनों कराह उठे,
sp-कांग्रेस भाईचारा बांट रहे है।
खुद sp के नेता ही तो बोल रहे है पैर पर हमने कुलाड़ी हमने मार ली,
जो कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात कर ली।
अचम्भा तो हमे कल हुआ जब चुनावो का परिणाम आ गया,
गधों और साईकिल की रेस में हाथी बेचारा कुचल गया,
साईकिल थोड़ी देर चली और पंचर हो गयी लेकिन गधा बाजी मार गया।


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उनकी याद

कुछ दिन बीत गए याद उनकी हमें आई,
क्या पता उनको हमारी याद आई या ना आई।
वह क्या दिन थे उनकी यादों में गुजर गए,
वो दिन से लेकर शाम तक उनके चेहरे को देखने में चले गये।
पता नहीं चला था शाम का ना सुबह का ठिकाना रहा,
बस देखते रहे उनके चेहरे को वह भी क्या जमाना रहा ।
हम उनको कुछ और बना बैठे थे उन्होंने हमको यार बना लिया ,
क्या यह प्यार था पता नहीं चला उन्होंने हमें कुछ और बना लिया ।
याद उनकी आती रही वह भी दिल में यूं आते रहे ,
बचपन से लेकर आज तक बस वही हमें जगाते रहे ।
उनके सपने आते थे मीठे पानी की नदी की तरह ,
आंख खुलते ही मिल जाया करते थे खारे पानी के सागर में डेल्टा की तरह ।
क्या था उनकी यादों का वह जल,
अमृत हमें लगता था।
उनकी यादों के साथ अब जीना है ,
क्या पता वह आएंगे या नहीं बस एक बार जिंदगी में उनसे मिलना है।
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